यें बात अलग है कि तुम न बदलो मगर जमाना बदल रहा है
गुलाब पत्थर पे खिल रहे है चराग आंधियो मे जल रहा है
किसी दिवाने से कम नही है ये मेरे अंदर का आदमी भी
इधर में फुलो कि छांवो मे हु उधर वो कांटो पर चल रहा है
~इकबाल अशहर
यें बात अलग है कि तुम न बदलो मगर जमाना बदल रहा है
गुलाब पत्थर पे खिल रहे है चराग आंधियो मे जल रहा है
किसी दिवाने से कम नही है ये मेरे अंदर का आदमी भी
इधर में फुलो कि छांवो मे हु उधर वो कांटो पर चल रहा है
~इकबाल अशहर
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